अभिज्ञानशाकुंतलम्
ISBN : 9789384684136
Release Year : 2014
Category : Pharmacy
Book Edition : (HB)
Author : 221
₹ ₹235.00
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पुस्तक के बारे में : ' काव्येषु नाटकं रम्यं तत्र रम्या शकुन्तला ' अर्थात् काव्यों में नाट्य रचना सबसे मनोहर होती है और उन नाट्य रचनाओं में भी सर्वश्रेष्ठ है - ' अभिज्ञान शाकुन्तलम् ' | ' अभिज्ञान शाकुन्तलम् ' कविकुलगुरु कालिदास द्वारा रचित नाट्यकला का मधुरतम फल है | संस्कृत नाटक माला की यह मध्य मणि है | सात अंकों में उपनिबद्ध इस रचना में हस्तिनापुर नरेश महाराज दुष्यन्त और शकुंतला के प्रणय गाथा चित्रित है | इसकी कथा महाभारत पर आधारित है | इसके प्रथम अंक में मृगयार्थ दुष्यन्त के कण्व ऋषि के आश्रम में आने और शकुन्तला के प्रति आकृष्ट होने का वर्णन किया है द्वितीय अंक में दुष्यन्त अपने मित्र विदूषक से और तृतीय अंक में शकुन्तला अपनी सखियों से अपने प्रेम का प्रकाशन करने का वर्णन है | तृतीय अंक में ही दुष्यन्त और शकुन्तला के गान्धर्व - विवाह का भी वर्णन है | चतुर्थ अंक में दुर्वासा द्वारा शकुन्तला कु शाप देने और शकुन्तला के प्रति गृह के लिए प्रस्थान का सहज प्रसंग वर्णित है | पंचम अंक में दुर्वासा के शाप के कारण दुष्यन्त के शकुन्तला को न पहचान सकने और शकुन्तला के कण्व आश्रम वापस लौट आने का मर्म स्पर्शी प्रसंग है | षष्ठ अंक में अँगूठी के मिलने से दुष्यन्त को शकुन्तला की याद आ जाती है और सप्तम अंक में उनके पुनः कण्व आश्रम आने और अपने पुत्र भरत तथा शकुन्तला को लेकर हस्तिनापुर वापस लौट जाने की कथा की है | इस प्रकार इस नाटक का सुखान्त होता है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल पाठ के साथ ही अन्वय व्याकरण एवं शब्दार्थ तथा हिंदी अर्थ दे देने से यह विद्यार्थियों एवं कालिदास साहित्य के अध्येताओं के लिए विशेष उपयोगी हो गयी है |
An essential guide for anyone involved in agriculture. The book covers everything from modern techniques to sustainable practices. Highly recommended for both beginners and experts!