किरतार्जुनियम ( द्वितीय: सर्ग: )
ISBN : 9789384684112
Release Year : 2014
Category : Pharmacy
Book Edition : (HB)
Author : 221
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पुस्तक के बारे में : संस्कृत कवियों में भारवि का नाम विशेष उल्लेखनीय है | वे संस्कृत के अलंकरजमाल के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं | भारवि का अर्थगौरव अर्थात् थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देने की कला प्रशंसनीय है | किरातार्जुनियम् उन्हीं भारवि द्वारा रचित श्रेष्ठ महाकाव्य है | इसमें किरात वेशधारी शिव और पाण्डु पुत्र अर्जुन के युद्ध और अर्जुन के पराक्रम से संतुष्ट शिव द्वारा उन्हें पाशुपत अस्त्र प्रदान करने की कथा का वर्णन है | पंद्रह सर्गों में उपनिबद्ध यह रचना महाभारत के वनपर्व पर आधारित है | दूसरे सर्ग में भीम द्वारा द्रौपदी की बातों का समर्थन करना और युधिष्ठिर का उसे अनुचित बताने का वर्णन है | इसी बीच वहाँ व्यासजी का आगमन होता है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल पाठ के साथ - साथ उसका अन्वय, शब्दार्थ, व्याकरण, सरलार्थ, व्याख्या और छंद - अलंकार आदि भी दिए गये हैं, जिससे यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए किरातार्जुनियम् के भावों और भारवि की काव्य कला को समझने में विशेष उपयोगी हो गयी है |
An essential guide for anyone involved in agriculture. The book covers everything from modern techniques to sustainable practices. Highly recommended for both beginners and experts!