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किरतार्जुनियम ( प्रथम: सर्ग: )

ISBN : 9789384684105
Release Year : 2014
Category : Pharmacy
Book Edition : (HB)
Author : 221

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About the Book
किरतार्जुनियम ( प्रथम: सर्ग: )

पुस्तक के बारे में : संस्कृत कवियों में भारवि का नाम विशेष उल्लेखनीय है | वे संस्कृत के अलंकरजमाल के प्रवर्तक कवि माने जाते हैं | भारवि का अर्थगौरव अर्थात् थोड़े शब्दों में बहुत कुछ कह देने की कला प्रशंसनीय है | किरातार्जुनियम् उन्हीं भारवि द्वारा रचित श्रेष्ठ महाकाव्य है | इसमें किरात वेशधारी शिव और पाण्डु पुत्र अर्जुन के युद्ध और अर्जुन के पराक्रम से संतुष्ट शिव द्वारा उन्हें पाशुपत अस्त्र प्रदान करने की कथा का वर्णन है | पंद्रह सर्गों में उपनिबद्ध यह रचना महाभारत के वनपर्व पर आधारित है | इसके प्रथम सर्ग में राजा युधिष्ठिर का अपने भाइयों और द्रौपदी के साथ वन में निवास करना दिखाया गया है | एक दिन वहाँ एक वनचर आता है, और दुर्योधन की शासन - व्यवस्था और उसकी राज्यलक्ष्मी के बारे में युधिष्ठिर से बताता है | दुर्योधन की अभ्युदय की बात सुनकर द्रौपदी क्रोधित हो उठती है और युधिष्ठिर को दुर्योधन पर आक्रमण करने के लिए उत्तेजित करती है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल पाठ के साथ - साथ उसका अन्वय, शब्दार्थ, व्याकरण, सरलार्थ, व्याख्या और छंद - अलंकार आदि भी दिए गये हैं, जिससे यह पुस्तक विद्यार्थियों के लिए किरातार्जुनियम् के भावों और भारवि की काव्य कला को समझने में विशेष उपयोगी हो गयी है |

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An essential guide for anyone involved in agriculture. The book covers everything from modern techniques to sustainable practices. Highly recommended for both beginners and experts!


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