कुमारसम्भवम्
ISBN : 9789384684174
Release Year : 2014
Category : Pharmacy
Book Edition : (HB)
Author : 225
₹ ₹135.00
Shipment : Within Two Days
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पुस्तक के बारे में : " कुमारसम्भवम " निखिलकवि चक्रचूडामणि कविकुलगुरु कालिदास द्वारा रचित महाकाव्य है | यह सत्रह सर्गों में निबद्ध है | शिव - पार्वती विवाह, कुमार कार्तिकेय का जन्म और उनके द्वारा तारकासुर का वध - यही इस महाकाव्य का प्रतिपाध विषय है | इस महाकाव्य की कथा का मुख्य उपजीव्य ग्रन्थ शिवपुराण है | लालित्य कि दृष्टि से कुमारसम्भव को कालिदास कि श्रेष्ठ रचना माना जाता है | शब्दसौष्ठव, ध्वनिसौकुमार्य, उक्तिवक्रता, व्यंजना का प्राधान्य आलंकारिक छटा, कल्पना की उड़ान, अपूर्व सौन्दर्य सृष्टि और छंद- विधान सभी इस रचना में एकत्रित मिलते हैं | योगिराज अरविन्द ने कुमारसम्भव की तुलना मिल्टन के Paradise Lost से की है | कुमारसम्भव का पंचम सर्ग शिव - पार्वती के संवाद के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण है | इसमें भगवान् शिव के ब्रह्मचारी वेश में आकर स्वयं ही शिव की निंदा करने के व्याज से पार्वती के प्रेम की परीक्षा लेने का वर्णन है | जब ब्रह्मचारी रूपधारी शिव पार्वती के आराध्य शिव की निन्दा की तो वे क्रुद्ध हो उठीं और वहां से जाने लगीं, तब भगवान् शिव ने उनके समक्ष अपना वास्तविक रूप प्रकट कर दिया और कहा मैं आज से तुम्हारा क्रीतदास हूँ | इस प्रकार इस सर्ग में शिव के छल पर पार्वती के सत्यप्रेम की विजय दिखायी गयी है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल पाठ के साथ - साथ संस्कृत व्याख्या, अन्वय और हिंदी अर्थ दे देने से यह छात्रों और कालिदास साहित्य के अध्येताओं के लिए अत्यन्त उपयोगी हो गयी है |
An essential guide for anyone involved in agriculture. The book covers everything from modern techniques to sustainable practices. Highly recommended for both beginners and experts!