गीता द्वितीय अध्याय
ISBN : 9789384684150
Release Year : 2015
Category : Pharmacy
Book Edition : (HB)
Author : 221
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पुस्तक के बारे में : गीता सुगीता कर्तव्या किमन्ये : शास्त्रविस्तरे : | या स्वयं पद्द्नाभस्य मुखपआद् विनि : सृता || जो स्वयं भगवान् पद्दनाम के मुखकमल से निकली है, उस गीता का सुन्दर ढंग से गायन करना चाहिये, अन्य विस्तृत शास्त्रों से क्या प्रयोजन ! गीता महर्षि कृष्णद्वेपायन वेद व्यास द्वारा विरचित महाभारत महाकाव्य के भीष्म पर्व में वर्णित है | यह अट्ठारह अध्यायों में निबद्ध है | प्रस्तुत पुस्तक में उसके दूसरे अध्याय का वर्णन है | इसे सांख्य योग कहा गया है | इस अध्याय के प्रथम तीस श्लोकों में सांख्य योग का वर्णन है | तत्पश्चात अड़तीसवें श्लोक तक स्वधर्म का वर्णन है, उसके बाद निरपनवें श्लोक तक समत्व बुद्धिरूप कर्मयोग का वर्णन है, तदनन्तर बासठवें श्लोक तक स्थितप्रज्ञ का और तिरसठवें श्लोक में पतन के क्रम का वर्णन है | चौसठवें से अरसठवें श्लोक में अंतः आपकी प्रसन्नता के उपाय का तदनन्तर अंतिम श्लोक तक ब्राह्मी स्थिति का वर्णन है | प्रस्तुत पुस्तक में मूल पाठ के साथ - साथ शब्दार्थ, व्याकरण, पदच्छेद, अन्वय, सरलार्थ और व्याख्या भी दी गयी है, जिससे यह छात्रों के लिए विशेष उपयोगी बन गयी है |
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