संस्कृत साहित्य का इतिहास
ISBN : 9789384684167
Release Year : 2014
Category : Pharmacy
Book Edition : (HB)
Author : 221
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पुस्तक के बारे में : संस्कृत भाषा को समस्त भाषाओँ की जननी कहा जाता है | इसे देवभाषा, गीर्वाणवाणी और सुरभारती के नाम से अभिहित किया जाता है | संस्कृत भाषा में विपुल मात्रा में साहित्य की रचना हुई है | परब्रह्मा परमात्मा के नि : श्वास से उत्पन्न वेद और उपनिषद, आरण्यक ब्राह्मण, वेदांग आदि अन्य वैदिक साहित्य की भाषा भी संस्कृत की है | आदि कवि वाल्मीकि रचित रामायण और महर्षि कृष्णद्वैपायन वेदव्यास विरचित अष्टदश पुराण एवं महाभारत की भी भाषा संस्कृत ही है | अश्वघोष, भास, कालिदास, भट्टनारायण, भवभूति, शूद्रक, विशाखादत्त, भारवि भट्टि, माघ, श्रीहर्ष, सुबन्धु, बाणभट्ट, दण्डी, विष्णुशर्मा, जयदेव आदि ने संस्कृत साहित्य को अपनी विविध रचनाओं से अलंकृत और समृद्ध किया है | प्रस्तुत पुस्तक में संस्कृत साहित्य को वैदिक और लौकिक संस्कृत नामक दो खण्डों में विभक्त कर विस्तार पूर्वक उनका वर्जन किया गया है | वैदिक संस्कृत खंड में वेदों की चारों संहिताओं, उनके उपनिषदों, ब्राह्मण ग्रंथों, आरण्यकों तथा वेदांग पर विस्तार से समीक्षात्मक विचार हुआ है | लौकिक साहित्य खंड में कवियों का उपलब्ध जीवन परिचय, उनकी शैली तथा रचनाओं का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है | अतः ये पुस्तक छात्रों के साथ - साथ संस्कृत साहित्य के अध्येताओं के लिए भी महत्वपूर्ण एवं उपयोगी है |
An essential guide for anyone involved in agriculture. The book covers everything from modern techniques to sustainable practices. Highly recommended for both beginners and experts!